Sunday, 25 September 2016

Hanuman Ji aarti


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. .contact-9460497261 . . . . . आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके। अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई। दे वीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाई। लंका सी कोट समुद्र सी खाई, जात पवन सुत बार न लाई। लंका जारि असुर सब मारे, राजा राम के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित परे धरनि पे, आनि संजीवन प्राण उबारे। पैठि पाताल तोरि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे। बाएं भुजा सब असुर संहारे, दाहिनी भुजा सब सन्त उबारे। आरती करत सकल सुर नर नारी, जय जय जय हनुमान उचारी। कंचन थार कपूर की बाती, आरती करत अंजनी माई। जो हनुमानजी की आरती गावै, बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै। लंका विध्वंस किसो रघुराई, तुलसीदस स्वामी कीर्ति गाई।

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