प्रयोग प्रथम
ययह प्रयोग 11 दिन का है इस में कासे की थाली में सिंदूर का त्रिशूल बना कर उसका पूजन करें और दिन में गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर 11 शिव मंत्र जप करे पीछे रात में भी इसी प्रकार त्रिशुल का पूजन करें घी और तेल दोनों का दीपक जलाकर 1112 मंत्र जप करें इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है और उसके कार्य प्रश्न का उत्तर सही सही दे देती है इस में साधक को एक समय भोजन करना चाहिए और यथासंभव काले वस्त्र धारण
करने चाहिए साधना काल में व्याप्त बातचीत स्त्री गमन पर इस तरह से बात करता वर्जित है
मंत्र:-
ओम नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादी नीमा में करणी अवतार अवतार अति ताना गए थे वर्तमान आनी दृश्य दृश्य हमें भविष्य तथ्य तथ्य कर्णपिशाचिनी स्वाहा
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प्रयोग दितीय
यह प्रयोग भी कर्णपिशाचिनी से संबंधित है आम की लकडी से बने पट्टे पर गुलाल बिछाकर अनार की कलम से रात को 108 बार मंत्र लिख कर मिटाया जाए और लिखते समय मंत्र का उच्चारण भी करता जाए अंत वाले मंत्र का पंचोपचार पूजन करके इस मंत्र का ग्यारह सौ बार उच्चारण करें फिर इस मंत्र को अपने सिराहने देकर चोदा इस प्रकार लगातार 21 दिन में करने के मंत्र सिद्ध हो जाता है रात को चाहिए कि वह मंत्र को होली दिवाली जागरण से प्रारंभ कर के किस दिन तक उसका प्रयोग करें यह मंत्र घर पर बैठ कर भी लिख सकता है और अंत में उसे जाने दे कर उसी खाट पर सो सकता है इस बात का ध्यान रखें कि उस कमरे में उसके अलावा और कोई ना सोए और जहां पर बैठकर मंत्र सिद्धि ना वहीं पर उसे सो जाना चाहिए
मंत्र
ओम नः कर्ण पिशाचिनी मतकरी में प्रवेश से अतीत अनागत वर्तमान आनी सत्यम सत्य में स्वाहा