Saturday, 5 November 2016

पंचांगुली भविष्य दर्शन की श्रेष्ठतम साधना


साधना और उसमें सफलता प्राप्त करना आपको सिखा दो या योग्य की बपौती नहीं रहेगी अपितु कोई भी व्यक्ति सही जानकारी प्राप्त कर साधना से घर बैठे सफलता प्राप्त कर सकता है पंचांगुली साधना ऐसे ही एक दिव्य सरल और सुगम साधना है जो प्रतिपादक सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है आवश्यकता है मंत्र सिद्धि प्राण प्रतिष्ठा आयुक्त पंचांगुली देवी के चित्र की वस्तु का अपना भविष्य ज्ञान हेतु श्रेष्ठ साधनाओ उसमें से एक लेख में सफलता स्पष्ट किया है पंचांगुली साधना भारतीय जीवन का श्रेष्ठ साधन है क्योंकि इसके माध्यम से भविष्य दर्शन पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता है कि भविष्य को याद करने का साधन ज्योतिष ज्योतिष हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से व्यक्ति को स्पष्ट रुप से जाना जा सकता है भारत वर्ष में प्रवेश अभी काुछ कहता है कि कोई भी ज्योतिषी तब तक पूर्ण हो सकता है उसके पास करने के लिए कुछसिद्धीया साधना मैं हूं यद्यपि भविष्य को जानने के लिए उससे दिया प्रचलित है परंतु एक अरब कठिन और तुरंत फलदायक नहीं है उनकी अपेक्षा पंचांगुली साधना को कोई भी व्यक्ति सिद्ध कर सकता है जैसा कि करण पिशाचनी के बारे में बताया जा चुका हे कि उस साधना से किसी भी व्यक्ति के भूतकाल को स्पष्ट रुप से जाना जा सकता है ठीक इसी तरह पंचांगुली साधना से किसी भी व्यक्ति के भविष्य के प्रत्यक्ष को पहचाना जा सकता है मैं पूरे भारत में घूमा हूं और मैं सेंड करो यारो तांत्रिको वर्षा लोगों के संपर्क में आया हूं मैंने यह अनुभव किया है कि वही व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफलता और सम्मान प्राप्त कर सकता है जिसने जीवन में पंचांगुली साधना संपन्न कर ली है महाराष्ट्र में गोकुल भाई का नाम भविष्यदृष्टा के रूप में विख्यात है मैं उनके सामने रुप से ही मिला था और जब मैंने भविष्य को जानने की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर कल दोपहर 3:00 बजे गाडी से जाना पड़ेगा अधूरी छोड़नी पड़ेगी वास्तव में ही दूसरे दिन मुझे यात्रा करनी पड़ी थी और मुझे वापस जाना पड़ा था ओर से देखा जाए तो उनका जो करते हैं वह अक्सर होती है और दूर दूर से लोग आते हैं पंचांगुली साधना:- यह साधना में यंत्र आवश्यक है शुभ दिन शुभ समय साधना स्थान को स्वच्छ पानी से धोने कक्षा आंगन हो तो गोबर से ली प्ले तत्पश्चात लकड़ी के 100 चौरस पत्ते पर श्वेत वस्त्र धोकर बिछा दे और उस पर चावलों से यंत्र का निर्माण करे चावलों को अलग अलग रंगों में भर दे यंत्र को सुगमता से सही रूप में बनावे यंत्र की बनावट में जरा सी गलती सारे परिश्रम को याद कर देती है तत्पश्चात यंत्र के मध्य में ताम्र कलश स्थापित करें और उसपर लाल वस्त्र बिछाकर ऊपर नारियल रखे और फिर उस पर पंचांगुली देवी की मूर्ति स्थापित करें इसके बाद पूजन करें और नित्य पंचांगुली मंत्र का जप करे यही है कि आधुनिक समय में प्रमाणित विद्वान प्राप्त नहीं होते जो कि यंत्र का स्वरूप और विधि समझा सके परंतु साधना में प्रमाणित पंचांगुली यंत्र तथा पंचांगुली का चित्र आवश्यक है सरवपरथम मुख शोधन कर पंचांगुली मंत्र चैतन्य करें पंचांगुली साधना में मंत्र चैतन्य की है अतः मंत्र को प्रारंभ और अंत में की संपूर्ण देने से मंत्र चैतन्य हो जाता है मंत्र चैतन्य के बाद योनि मुद्रा का अनुष्ठान किया जाए यदि योनि मुद्रा अनुष्ठान का ज्ञान न हो तो बहुत लेती विधान करना चाहिए इसके बाद यंत्र पूजा करके पंचांगुली जानकारी पंचांगुली जान पंचांगुली महादेवी श्री सीमंधर सासु ने अधिष्ठात्री कृष्णा शुभ रात्रि त्रिदोष पंचांगुली मंत्र:- ओम नमो पंचांगुली पंचांगुली परमेश्वरी माता मंगल वशीकरण मञ दंड मनी 64 काम ही है डेनी रणमत देर राहुल मध्य शत्रु मत दे दी पानी मध्य भूत मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश मध्य वोटिंग मध्य डाकिनी मध्य सनी मध्य यक्षिणी मध्य दो सनी मध्य भूमि मध्य गारुड़ी मध्ए येणारी मध्य प्रदेश मध्य दो चरण मध्य दुश्मन दुश्मन से घोर कष्ट मुझे ऊपर बुरा जो कोई करे करावे झड़े झड़े हुए चिंतित तावे तक माथे की माता पंचांगुली देवी तनु बद्र निर्धार बड़े ओम थम थम थम स्वाहा वस्तुतः यह साधना लंबी और श्रमसाध्य है प्रारंभ में गणपति पूजन संकल्प न्यास यंत्र पूजा प्रथम वरुण पूजा द्वितीय तृतीय चतुर्थ पंचम षष्टम अष्टम और नवम आवरण के बाद भूत उपसंघार कर के यंत्र में प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए इसके बाद पंचांगुली देवी को सजीवनी बनाने के लिए ध्यान अंत मातृका न्यास वही मातृका न्यास करनी चाहिए यद्यपि इस सारी विधि को लिखा जाए तो लगभग 40 50 प्रश्नों में आएगी यह मेरा उद्देश्य पाठकों को मात्र साधना से परिचित कराना है देश के श्रेष्ठ साधकों का मत है कि यदि साधते यह सारे क्रियाकलाप न कर के केवल घर में मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त पंचांगुली यंत्र तथा संजीवनी संपुट युक्त मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त पंचांगुली देवी का चित्र स्थापित कर उसके सामने नित्य पंचांगुली मंत्र का 21 बार जाप करें तो कुछ समय बाद सही पंचांगुली साधना सिद्ध हो जाती है सुविधाजनक है औरइसमें किसी प्रकार की त्रुटि संभव नहीं है पाठकों के आग्रह बराबर हमें प्राप्त होते रहे हैं अतः इस प्रकार पूर्ण विधि विधान से सिद्ध करा कर मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा योग पंचांगुली यंत्र या संजीवनी संपुट युक्त मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा योग पंचांगुली देवी का चित्र केंद्र से भेजने की व्यवस्था की जा सकती है वस्तुतः यह साधना सरल है सामान्य साधक को लंबे चौड़े जटिल विधि-विधान में नहीं पढ़ कर अपने घर में पंचांगुली देवी के चित्र के स्थापना कर लेनी चाहिए और नित्य प्रातः स्नान कर पंचांगुली मंत्र का इतिहास बार उच्चारण करना चाहिए कुछ समय बाद मंत्र सिद्ध हो जाता है यह साधना संपन्न हो कर वह सफल भविष्यदृष्टा बन जाता है मिलता है

कर्ण पिशाचनी साधना


प्रयोग प्रथम ययह प्रयोग 11 दिन का है इस में कासे की थाली में सिंदूर का त्रिशूल बना कर उसका पूजन करें और दिन में गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर 11 शिव मंत्र जप करे पीछे रात में भी इसी प्रकार त्रिशुल का पूजन करें घी और तेल दोनों का दीपक जलाकर 1112 मंत्र जप करें इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है और उसके कार्य प्रश्न का उत्तर सही सही दे देती है इस में साधक को एक समय भोजन करना चाहिए और यथासंभव काले वस्त्र धारण करने चाहिए साधना काल में व्याप्त बातचीत स्त्री गमन पर इस तरह से बात करता वर्जित है मंत्र:- ओम नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादी नीमा में करणी अवतार अवतार अति ताना गए थे वर्तमान आनी दृश्य दृश्य हमें भविष्य तथ्य तथ्य कर्णपिशाचिनी स्वाहा . . प्रयोग दितीय यह प्रयोग भी कर्णपिशाचिनी से संबंधित है आम की लकडी से बने पट्टे पर गुलाल बिछाकर अनार की कलम से रात को 108 बार मंत्र लिख कर मिटाया जाए और लिखते समय मंत्र का उच्चारण भी करता जाए अंत वाले मंत्र का पंचोपचार पूजन करके इस मंत्र का ग्यारह सौ बार उच्चारण करें फिर इस मंत्र को अपने सिराहने देकर चोदा इस प्रकार लगातार 21 दिन में करने के मंत्र सिद्ध हो जाता है रात को चाहिए कि वह मंत्र को होली दिवाली जागरण से प्रारंभ कर के किस दिन तक उसका प्रयोग करें यह मंत्र घर पर बैठ कर भी लिख सकता है और अंत में उसे जाने दे कर उसी खाट पर सो सकता है इस बात का ध्यान रखें कि उस कमरे में उसके अलावा और कोई ना सोए और जहां पर बैठकर मंत्र सिद्धि ना वहीं पर उसे सो जाना चाहिए मंत्र ओम नः कर्ण पिशाचिनी मतकरी में प्रवेश से अतीत अनागत वर्तमान आनी सत्यम सत्य में स्वाहा